Friday, March 11, 2011

चंचलता

जो मै चाहता हूँ क्या वह हमेशा 
हो ही जाता है 
शायद नहीं 
पर क्यूँ 
न जाने
फिर से मै कुछ और 
चाहने की जुर्रत कर बैठता हूँ
ऐसा क्यूँ है 
शायद यह मेरा अहंकार  है
या मेरी अभिलाषा है 
या फिर मेरा विश्वाश 
कि जो मै चाहता हूँ 
वह मुझे मिलेगा 
या यह मेरे मन कि चंचलता है 
जो मुझसे 
यह कहता है 
चल कुछ और चाह 
कुछ और मांग 
शायद वह 
पूरी हो जाये  

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