उदघोष
Monday, December 13, 2010
आज कलम सूख गई
रोज की तरह आज फिर,
कलम उठाई,
सोचा कि कुछ लिखूं
बैठा था कागज को लेकर
मै कलम का सिपाही
कलम उठाई,
कलम चली ही नहीं
पता चला कि
आज स्याही ही भ्रष्ट हो गई
कलम ना चली,
क्योंकि
आज कलम सूख गई ?
1 comment:
udghosh
December 13, 2010 at 11:32 PM
lage raho
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lage raho
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