Monday, December 13, 2010

आज कलम सूख गई

रोज की तरह आज फिर,
कलम उठाई,
सोचा कि कुछ लिखूं
बैठा था कागज को लेकर
मै कलम का सिपाही
 कलम उठाई,
 कलम चली ही नहीं
पता चला कि
आज स्याही ही भ्रष्ट हो गई
कलम ना चली,
क्योंकि
आज कलम सूख गई ?

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